Bodhaghat Bahudeshiy Sichai Pariyojna:बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना

दोस्तों जल, धरती पर सभी के जीवन के लिए अनिवार्य वस्तु में से एक है जिसके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। भारत में जल की उपलब्धता में भिन्नता पाई जाती है, कुछ राज्यों में जल की कमी से पेयजल तक की समस्या है तो कुछ राज्यों में अधिक वर्षा से प्राकृतिक आपदा की संभावना बनी रहती है। इसी कारण जल का उचित प्रबंधन जरूरी है। निःसन्देह नदियां प्रकृति का एक महान वरदान है तथा विभिन्न सभ्यताओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। सभ्यता का विकास होने के बाद मनुष्यों द्वारा गर्मी के दौरान जल की कमी को पूरा करने के लिए बरसाती नदी के जल का उपयोग हेतु उसे स्टोर करने के लिए बांधों तथा जलाशयों का निर्माण करना शुरू किया। 

Bodhaghat Bahudeshiy Sichai Pariyojna:बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना
Bodhaghat Bahudeshiy Sichai Pariyojna:बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना 

दोस्तों छत्तीसगढ़ में भी वैसे ही जल की कमी को पूरा करने के लिए बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना वर्ष 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा आधारशिला रखा गया था पर अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले पाया है। आज जानेंगे की आखिर यह बोधघाट परियोजना है क्या और इसे बनने में आखिर इतना समय क्यों लग रहा है। (आप इसे एक Case Study के रूप में भी पढ़ भी पढ़ सकते हैं। )

परियोजना का नाम: बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना (Bodhaghat Bahudeshiy Sichai Pariyojna)
प्रस्तावित स्थल: दंतेवाडा जिले के गीदम विकासखण्ड के पर्यटन स्थल बारसुर के समीप
प्रस्तावित नदी:  इंद्रावती नदी (Indravati Nadi)
अनुमानित जल उपयोग:
प्रभावित क्षेत्र: 13783.147 हेक्टेयर जमीन (डुबान क्षेत्र)
प्रस्तावित लागत: लगभग 22 हजार 653 करोड़ रुपए 
जल विद्युत उत्पादन क्षमता: 300 मेगावाट
विस्थापित गांव : 42 गांव 
प्रभावित जनसंख्या: 12,888 परिवार 

परियोजना की रूप -रेखा:

  • 855 मीटर लम्बा और 90 मीटर ऊँचा बांध बनाने की योजना है। 
  • इस बांध पर 2 मुख्य नहर क्रमशः 500 मीटर और 365 मीटर बनाने की योजना है। 
  • इंदिरा सरोवर पन बिजली परियोजना के नाम से यह प्रस्तावित थी परन्तु अब इसे बोधघाट (Bodhaghat)  बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना के नाम से जाना जाता है। 

बहुद्देशीय परियोजना किसे कहते हैं ? (Bahudeshiy Pariyojna Kise Kahte hai?):

भारत में बड़े बांधों को बहुउद्देशीय परियोजना भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसे बांध द्वारा एक साथ कई उदेश्यों की पूर्ति होती है। जैसे पेयजल और औद्योगिक उपयोग हेतु जल, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, जल-विद्युत उत्पादन, अन्तर्देशीय नौपरिवहन, मनोरंजन जैसे मानवीय मूलभूल आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। बड़े बांधों के साथ पारिस्थितिकी तथा पर्यावरणीय मुद्दे भी जुड़े रहते है। इस कारण इन्हें समय-समय पर विरोध भी झेलना पड़ता है।

बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना:

बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना प्रदेश की और बस्तर संभाग की महत्वपूर्ण परियोजना में से एक है। बस्तर की जीवन दायिनी इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना लगभग 22 हजार 653 करोड़ रुपए की लागत से दंतेवाडा जिले के गीदम विकासखण्ड के पर्यटन स्थल बारसुर के समीप किया जाना है। इस परियोजना के निर्माण से क्षेत्र में बरसाती अवधि के दौरान नदी के अतिरिक्त जल को स्टोर (संचयन) करने और शुष्क क्षेत्र में सिंचाई का रकबा बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में लगभग 13 प्रतिशत सिंचाई क्षमता है इस परियोजना के निर्माण से क्षेत्र में सिंचाई क्षमता 366580 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास होगा। इससे दंतेवाड़ा जिले से 51 गाँव, 218 बीजापुर और सुकमा के 90 गाँव कुल 359 गाँव लाभान्वित होंगे।

परियोजना का उद्देश्य:

इंद्रावती नदी के जल का सदुपयोग कर बस्तर को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए बोधघाट (Bodhaghat)  परियोजना जरूरी है। परियोजना का मुख्य उद्देष्य बस्तर के सिंचाई विहीन आदिवासी किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है। 

परियोजना से लाभ:

  • परियोजना के निर्माण से 300 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की योजना है। जल विद्युत क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। 
  • परियोजना के निर्माण से नौकायन, तैराकी, मत्स्य पालन इत्यादि को बढ़ावा मिलेगा। 
  • संभाग के कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर कम हो रहा है। परियोजना के निर्माण से भू-जल स्तर को भी बढ़ावा मिल सकता है।
  • लोगों को पेयजल की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
  •  नहरो के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों की कृषि आवश्यकताओं के अनुसार जल बहाव को नियमित किया जा सकता है।
  •  सिंचाई की उपलब्धता से प्रदेष की मुख्य फसल धान के अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।


परियोजना से प्रभावित:

बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना से 13783.147 हेक्टेयर जमीन इसके डुबान क्षेत्र में आएंगे जिसके कारन इस क्षेत्र में पड़ने वाले 42 गाँवों के 12,888 परिवार अपने रहवास को छोड़कर अन्य किसी जगह जाना होगा। इस परियोजना के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला है इस क्षेत्र का पर्यावरण, सबको पता है छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग अपने प्राकृतिक धरोहर के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्द है। पर्यावरण के जानकर और शिक्षाविद इस परियोजना के कारण होने वाले बुरे प्रभाव को इस क्षेत्र के लिए बहुत ही नुकसान दायक बताया है। अनेक जंगली जीव जंतु के लिए अपना वजूद बचाना भी मुश्किल हो जायेगा।

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चुनौती:

बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहाँ के 42 गावों का व्यवस्थापन है। इसके डुबान क्षेत्र में आने वाले प्राकृतिक सम्पदा और यहाँ रहने वाले जीव जंतुओं के व्यवस्थापन के लिए अभी तक कोई ठोस रणनीति सरकार द्वारा सुझाया नहीं गया है। इस परियोजना से होने वाले प्राकृतिक नुकसान के बारे में सरकार के पास कोई निश्चित डाटा नहीं है। पर्यावरणविद के अनुसार यह परियोजना इस क्षेत्र के प्राकृतिक धरोहर के लिए सही नहीं है। आने वाले समय में इसके भयंकर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी  इनके द्वारा दी जा चुकी है। 

ग्रामवासियों की मांग:

समीपस्त ग्रामवासियों ने प्रशासन के समक्ष अपनी मांगे रखी है कि बोधघाट (Bodhaghat) बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना का डेम निर्माण से पूर्व प्रत्येक प्रभावित ग्रामों में विधिवत ग्राम सभा का आयोजन किया जाए। तत्पश्चात सर्वे करवा कर भू-अर्जन की कार्यवाही हो। सभी प्रभावितों को विधिवत मुआवजा प्रदान किए जाने के बाद ही निर्माण कार्य किया जाएगा। मुआवजा पूर्ण होने पर ही विस्थापना की कार्यवाही किया जाए। इस संबंध में जिला प्रशासन दंतेवाड़ा ने बोधघाट परियोजना हेतु सर्वे कार्य पूर्ण होने पर ही विधिावत ग्राम सभा का अनुमोदन करने के पश्चात ही विधिवत भू-अर्जन, मुआवजा एवं विस्थापन की कार्यवाही की जाने की बात कही है।

सरकार द्वारा आश्वासन:

  • सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया है की प्रभावितों के लिए पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था किया जाएगा। 
  • विस्थापितों को उनकी जमीन के बदले बेहतर जमीन, मकान के बदले बेहतर मकान दिए जाएँगे। 
  • प्रभावितों के पुनर्वास एवं व्यवस्थापन के बाद ही उनकी भूमि ली जाएगी।
  • सरकार की कोशिश होगी, इस प्रोजेक्ट की नहरों के किनारे की सरकारी जमीन प्रभावितों को मिले ताकि वह खेती किसानी बेहतर तरीके से कर सके। 
(ज्ञात हो कि बोधघाट परियोजना के लिए भारत शासन के मिनिरत्न उपक्रम मेसर्स वाप्कोस लिमिटेड और परियोजना के निर्माण संस्था द्वारा सर्वे करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।)

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