दोस्तों, हमें न्याय पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, परन्तु सब जानते है कोर्ट कचहरी का काम कितना समय लेता है, न्याय पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते है, तथा यह भी जानते हैं कि कोर्ट में बहुत अधिक मामले होने के कारण सुनवाई का नंबर आने में काफी समय भी लगता है, अगर आपको यह कहा जाये की आप बिना कोर्ट जाये और बिना कोर्ट की फीस दिए न्याय पा सकते हैं, तो आप बोलेंगे यह तो मुमकिन ही नहीं है।
Chhattisgarh High Court Me Desh Ke Pahle E-Lok Adalat Ka Udghatan |
आज हम बात करने वाले है एक ऐसे न्याय व्यवस्था की जिसमे आपको अदालत के चौखट में चढ़े बिना न्याय मिल सकता है और बिना ज्यादा समय गंवाए। आज हम जानेंगे की लोक अदालत क्या होता है? ई- लोक अदालत क्या होता है? कैसे ई- लोक अदालत में अपनी अर्जी लगा सकते हैं और इसके लाभ क्या क्या हैं।
लोक अदालत क्या होता है:
लोक अदालत एक ऐसी न्याय व्यवस्था है जिसके द्वारा दो पक्षों के मध्य सुलह कराने का काम न्यायालय द्वारा किया जाता है। इस न्याय व्यवस्था के माध्यम से समय की बचत के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है। इस न्याय व्यवस्था में कोई व्यक्ति तभी सुनवाई के लिए जा सकता है जब दोनों पक्षकार सुलह के लिए राजी हों।
लोक अदालत किन मामलों की सुनवाई करता है:
आपराधिक मामलों जैसे हत्या या कोई और संगीन मसलों को छोड़ कर अन्य मामलों के लिए लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। ऐसे मामलों की सूची निम्नानुसार है जिसके लिए लोक अदालत जाया जा सकता है:
- समझौता योग्य प्रकरणों के लिए
- पारिवारिक मामलों के लिए
- मोटर दुर्घटना दावों के लिए
- चेक बाउंस के प्रकरण संबंधी मामलों के लिए
- आपदा मुआवजा जैसे फसलों में आग लग जाना, व्यवस्थापन आदि के लिए
- ऐसे मामले जो पानी और बिजली से जुड़े हों
- मनरेगा से जुड़े मामलों के लिए
- भूमि अधिग्रहण मामलों के लिए
- श्रम विवाद और भुकतान संबंधी मामलों के लिए
- पेंशन और अन्य सेवा सम्बन्धी मामलों के लिए
- वैवाहिक मामलों के लिए
- सिविल मामलों के लिए
ई-लोक अदालत क्या है:
ई-लोक अदालत एक प्रकार का लोक अदालत ही है बस इसमें फर्क इतना है की इसमें सुनवाई के लिए अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है और दोनों पक्षों के वकीलों को न्यायधीश के समक्ष विडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ना होता है। यह न्याय व्यवस्था कोरोना महामारी के बढ़ते संकट को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए शुरू किया गया है।
चूँकि न्यायालयों में बढ़ते मामलों और कोरोना संकट के कारण सुनवाई में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए एक प्रकार का नोबेल तरीका से न्याय दिलाने का काम शुरू किया गया है ताकि पक्षकारों को जल्दी न्याय मिल सके।
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ई-लोक अदालत लगने का समय:
यह न्याय व्यवस्था पुरे देश के हाई कोर्ट में पहली व्यवस्था है जिसके माध्यम से लोक अदालत लगायी जाएगी। इस ई-लोक अदालत को हर महीने के दूसरे और तीसरे शनिवार को लगाने का फैसला लिया गया है।
ई-लोक अदालत लगाने के लाभ:
- बिना देरी के न्याय प्राप्ति का सबसे अच्छा तरीका है।
- त्वरित और निःशुल्क न्याय प्राप्त करने का साधन है। (निःशुल्क इसलिए क्योंकि सुनवाई के बाद न्यालय फीस की वापसी कर दी जाती है। )
- अदालत जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
- वकील और न्यायधीश अपने घर के कमरे से ही अपना काम कंप्यूटर के माध्यम से कर सकते हैं।
- लंबित मामलों की इंतजार सूची में कमी आएगी।
- कोरोना के इस महामारी से निपटा जा सकता है।
- अदालत के बार-बार चक्कर काटने की परेशानी कम होगी।
- इस व्यवस्था से उन निर्धन लोगों को भी न्याय पाने में आसानी होगी जो न्यायालयीन जरुरत की संसाधन जुटाने के काबिल नहीं होते है।
भविष्य की संभावनाएं:
ई-लोक अदालत के सफलता पूर्वक संचालन से भविष्य में न्याय व्यवस्था को कम्प्यूटरीकृत कर अतिशीघ्र न्याय दिलाने की तरफ न्याय प्रणाली अग्रसर हो सकती है। इस न्याय प्रणाली से काम समय में अधिक मामलों की सुनवाई की जा सकती है। यह न्याय व्यवस्था कम खर्चों में आसानी से संचालित की सा सकती है।
ई-लोक अदालत के लिए कैसे अपना रजिस्ट्रेशन करें:
इस न्याय व्यवस्था के लिए आपको छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के वेब पोर्टल में जाना होगा वहां ई-लोक अदालत का लिंक दिखाई देगा जहाँ पर क्लिक कर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकतें हैं।
मुख्य बातें:
- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट देश की पहली हाई कोर्ट बनी जहाँ ई-लोक अदालत का संचालन किया गया।
- छत्तीसगढ़ में दिनांक 11 जुलाई 2020 को पहली बार ई-लोक अदालत की सुनवाई रखी गयी।
- ई-लोक अदालत हाई कोर्ट के अलावा सभी जिला और तहसील कोर्ट में भी लगेगा।
- पक्षकार और वकील विडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से लोक अदालत से जुड़ सकेंगे।
- विडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम में अगर कोई परेशानी आएगी तो व्हाट्सप्प विडिओ कालिंग के माध्यम से भी जुड़कर पक्षकार और वकील अपना पक्ष रख सकते हैं।
- ई-लोक अदालत के माध्यम से 23 जिलों के 195 बेंच में 3133 मामले सुने जा रहे हैं। हाई कोर्ट में भी 2 बेंच पर सुनवाई हो रही है।
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