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छत्तीसगढ़ी भाषा और संविधान की 8 वीं अनुसूची |
क्या है संविधान की 8 वीं अनुसूची में:
हमारे देश के संविधान के 8 वीं अनुसूची में भारत देश में प्रचलित भाषाओं का उल्लेख किया गया है। इसके अंतर्गत अभी तक 22 भाषाओं को संविधान के आठवीं अनुसूची में स्थान मिला है। सर्वप्रथम इसमें 14 भाषाओं (असमिया, बांग्ला, गुजरती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलगु और उर्दू) को मान्यता दिया गया था। कुछ वक्त बाद इसमें सिंधी, कोकणी, नेपाली और मणिपुरी को जोड़ा गया जिससे इनकी संख्या 18 हो गयी। कुछ समयांतराल के बाद इसमें फिर से 4 अन्य भाषा (मैथली, संथारी, बोडो, डोगरी) को आठवीं अनुसूची में स्थान मिला। इस प्रकार 8 वीं अनुसूची में अब तक कुल 22 भाषाओं को मान्यता मिल चुका है।
8वीं अनुसूची में शामिल होने से क्या होगा:
अभी तक छत्तीसगढ़ी बोली थी परन्तु छत्तीसगढ़ विधान सभा में 28 नवम्बर 2007 को छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने हेतु विधेयक पारित किया गया था जिससे छत्तीसगढ़ी को अभी तक सिर्फ राज भाषा होने का गौरव प्राप्त है, अभी तक छत्तीसगढ़ी को संविधान में भाषा का दर्जा नहीं मिला है। जब तक यह संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं होगा छत्तीसगढ़ी को भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो सकता। अतः इसे संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करना आवश्यक है। (चूँकि 28 नवम्बर को राजभाषा बनाने का विधेयक पारित हुआ था, अतः इस दिन को छत्तीसगढ़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है। )
8वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु कार्य:
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने यह शासकीय संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिल चुका है। लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा अभी तक संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी है। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और मान्यता के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा का संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल होना अत्यंत आवश्यकता है।
8वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु पूर्व में हुए कार्य:
8वीं अनुसूची में शामिल करने के संबंध में अशासकीय संकल्प लाया गया था, जो पारित नहीं हो पाया था। इसके बाद एक साल तक वातावरण निर्माण के लिए साहित्यकारों, कवियों के साथ बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव में संगोष्ठियां आयोजित की गई। वर्ष 2007 में पुनः विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अशासकीय संकल्प लाया गया था, जिसे समवेत स्वर में पारित किया गया। पिछली सरकार ने भी भारत सरकार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। अनेक क्षेत्रीय भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल हुई, लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी।
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CG News Hindi |
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