दोस्तों, क्या आपने किसी ऐसी काली बारिश के बारे में सुना है, जो ना सिर्फ खतरनाक है, बल्कि प्रकृति के लिए एक अभिशॉप भी है। तो चलिए आज हम आपको बताएँगे इस काली बारिश के बारे में, साथ ही जानेंगे कि क्यों है ये इतना खतरनाक? कब होता है ऐसी बारिश? कहाँ हुई थी पहली और अंतिम काली बारिश?
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काली बारिश(Black Rain) | क्यों है इतना ख़तरनाक ? जानें कब होती है ऐसी वर्षा ? |
आज कल चर्चा में क्यों हैं ?
हाल ही में हिरोशिमा (जापान) की एक ज़िला अदालत ने 1945 के परमाणु विस्फोट के बाद हुई ‘काली बारिश’ से जीवित बचे 84 लोगों को पीड़ितों के रूप में मान्यता दे दी है, अब ये सभी लोग परमाणु विस्फोट के पीड़ितों के रूप में उपलब्ध निःशुल्क चिकित्सीय सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। ये 84 लोग 1945 में हुए परमाणु हमले में गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे तथा आज भी ये गंभीर बीमारियों से ग्रषित हैं ,जिसके कारण इन्होने वहां के जिला न्यायालय में पिटीशन दायर कर चिकित्स्कीय सुविधा की मांग की थी।
परमाणु विस्फोट की घटना:
6 अगस्त और 9 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा (Hiroshima) एवं नागासाकी (Nagasaki) पर अमेरिका ने परमाणु बम से हमला किया।
एक अनुमान के अनुसार, इन दोनों विस्फोटों और परिणामी आग्नेयास्त्र (विस्फोट के कारण लगी बड़ी आग) से हिरोशिमा में लगभग 80,000 और नागासाकी में लगभग 40,000 लोगों की मौत हुई थी।
विस्फोट के बाद रेडियोएक्टिव विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ से भी दोनों शहरों में हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी।
‘काली बारिश’ (Black Rain) क्या है?
एक अनुमान के अनुसार, इस परमाणु हमले से नष्ट हुई इमारतों का मलबा और कालिख, बम से निकले रेडियोधर्मी पदार्थ के साथ मिलकर वातावरण में एक मशरूम रूपी बादल के रूप में प्रकट हुआ। ये पदार्थ वायुमंडल में वाष्प के साथ संयुक्त हो गए जिसके बाद काले रंग की बूंदों के रूप में धरती पर गिरने लगे जिसे ‘काली बारिश’ कहा गया।
‘काली बारिश’ से बचे लोगों ने इसे बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में वर्णित किया जो सामान्य बारिश की बूंदों की तुलना में बहुत भारी थी।
इस घटना में जीवित बचे लोगों के अनुसार, घटना के शिकार हुए बहुत से लोगों के शरीर की खाल जल गई और लोग गंभीर रूप से निर्जलित (Dehydrated) हो गए।
इसका प्रभाव क्या हुआ ?
- काली बारिश, अत्यधिक रेडियोधर्मी पदार्थ से युक्त थी, इस संबंध में हुए अध्ययनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बारिश के संपर्क में आने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
- वर्ष 1945 में किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्राउंड ज़ीरो से तकरीबन 29 किमी. के क्षेत्र में काली बारिश हुई।
- इस बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली सभी चीज़ों को दूषित कर दिया।
- काली बारिश ने कई लोगों में विकिरण के तीव्र लक्षण (Acute Radiation Symptoms-ARS) उत्पन्न किये। कुछ लोग कैंसर से ग्रस्त हो गए तो कुछ लोगों की आँखों की रोशनी चली गई। शहर की ज़मीन और पानी भी विकिरण से दूषित हो गया था।
क्या था नागासाकी का हाल?
- नागासाकी पर गिराया गया बम हिरोशिमा पर गिराए गए बम से अधिक शक्तिशाली था, लेकिन इससे कम लोगों की मौत हुई और शहर की भौगोलिक स्थिति के कारण इसका प्रभाव एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित रहा।
- इसका मतलब यह था कि हिरोशिमा की तुलना में नागासाकी में काली बारिश के लिये आवश्यक रेडियोएक्टिव सामग्री कम थी, यही कारण था कि यहाँ अपेक्षाकृत छोटे से क्षेत्र में ही बारिश सीमित थी।
हादसे के संबंध में हुए अध्ययनों के अनुसार
- वर्ष 1976 में जापानी सरकार ने हिरोशिमा में हुए वर्ष 1945 के अध्ययन का उपयोग उस क्षेत्र का सीमांकन करने के लिये किया जिसके भीतर काली बारिश और परमाणु विस्फोट के पीड़ित लोग चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का दावा कर सकें।
- युद्ध के बाद जापान की सरकार द्वारा अध्ययनों से पता चला है कि सरकार द्वारा सीमांकित किये गए आकार का लगभग चार गुना अधिक क्षेत्र काली बारिश से प्रभावित हुआ होगा।
- इन अध्ययनों के आधार पर कुछ इलाकों को बमबारी की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित घोषित किया था। उस समय जो लोग वहाँ रह रहे थे उन्हें मुफ्त चिकित्सा देने की घोषणा की गई। ये 84 वादी, जिन इलाकों में रहते थे वो हमले से प्रभावित घोषित इलाके से तो बाहर थे लेकिन हमले के बाद काली बारिश से उत्पन्न हुए रेडियोएक्टिव संदूषण की चपेट में आ गए थे।
बुधवार को आए फैसले से क्या लाभ होगा?
- इन वादियों ने न्यायालय के समक्ष दलील प्रस्तुत की थी कि उनके स्वास्थ्य पर भी उसी तरह का प्रभाव पड़ा था जैसा कि उन लोगों पर पड़ा था जो घोषित इलाके में रह रहे थे।
- इस संबंध में बुधवार को हिरोशिमा ज़िला न्यायालय में हुई सुनवाई में न्यायालय ने इन लोगों को हिबाकुशा के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि ‘काली बारिश’ में भीगने वाले लोगों की भाँति ये लोग भी ऐसी बीमारियों से पीड़ित हैं जिन्हें परमाणु बम से संबंधित माना जाता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किये गए इस हमले के पीड़ितों को हिरोशिमा में स्थानीय लोग ‘हिबाकुशा’ कहते हैं।
- अमेरिकी बमबारी के 75 वर्ष पूरे होने के कुछ दिन पहले ही यह निर्णय आया है।
परमाणु हमले के लिये जापान को ही क्यों चुना गया?
- द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान जर्मनी का साथ दे रहा था। जर्मनी ने मई 1945 में ही समर्पण कर दिया था।
- जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिये जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले, इसका एक कारण यह था कि अभी तक प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था। जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने के लिये तैयार नहीं था।
- पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह जानकारी मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है। पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान तत्काल बिना किसी शर्त के समर्पण करने के लिये तैयार नहीं होता तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा।
- जापान के समर्पण नहीं करने के कारण पहली अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमले की तारीख तय की गई। लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोकना पड़ा, इसके पाँच दिन बाद यह हमला किया गया।
हिरोशिमा के बाद नागासाकी पर हमला क्यों किया गया?
- हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिये तैयार नहीं हुआ। संभवतः सीमा पर तैनात जापानी अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिल पाई थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया।
- पहले हमले के लिये क्योटो को चुना गया था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी शहर को चुना गया। फैट मैन नामक बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति के साथ नागासाकी पर गिराया गया।
- वर्ष 1945 में नागासाकी मित्सुबिशी कंपनी के हथियार बनाने वाले कारखानों का केंद्र तो था ही साथ ही वहाँ कंपनी का जहाज़ बनाने के कारखाने के साथ-साथ अन्य कारखाने भी थे जिनमें टारपीडो बनाए जाते थे जिनसे जापानियों ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला किया था।
- नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दे दिया। मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे।
- उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास ‘अमानवीय’ हथियार होने की दलील देकर बिना किसी शर्त के ही समर्पण करने की घोषणा कर दी।
- औपचारिक रूप से तो यह युद्ध 12 सितंबर, 1945 को ही समाप्त हो गया था लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों के शिकार लोगों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ। युद्ध की इस पीड़ा ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया।
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