स्त्री रूपी शिवलिंग | लिंगेश्वरी माता मंदिर अलोर कोण्डागांव | रेत में पदचिन्ह देख होती है साल भर की भविष्यवाणी |

 

स्त्री रूपी शिवलिंग | लिंगेश्वरी माता मंदिर अलोर कोण्डागांव
स्त्री रूपी शिवलिंग | लिंगेश्वरी माता मंदिर अलोर कोण्डागांव

मंदिर: लिंगेश्वरी माता मंदिर (Lingeshwari Mata Mandir)
स्थान: अलोर कोण्डागांव छत्तीसगढ़
मंदिर खुलने का दिन: भद्र पद शुक्ल नवमीं के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को     
दूरी: रायपुर से 192 किलोमीटर 
कांकेर से दूरी 65 किलोमीटर 
कोण्डागांव से दूरी 41 किलोमीटर 
जगदलपुर से दूरी 116 किलोमीटर 

दुनिया का एकमात्र मंदिर:

लिंगेश्वरी माता मंदिर (Lingeshwari Mata Mandir) जिसे लिंगा माई या लिंगाई माई मंदिर के नाम से भी जानते हैं, यह मंदिर अपने आप में एक अनोखा मंदिर है जिसके पट भक्तों के लिए साल में सिर्फ एक बार खुलता है। यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान शिव के स्त्री रूप का पूजन होता है। इस मंदिर में जो शिव लिंग स्थापित है उसे ही लिंगेश्वरी माई के रूप में पूजा जाता है।  

अत्भुत मंदिर संरचना:

लिंगेश्वरी माता मंदिर (Lingeshwari Mata Mandir)  अलोर गांव के उत्तर-पश्चिम दिशा में 2 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से पहाड़ी के ऊपर स्थित है। पहाड़ी के ऊपर चारो ओर फैले चट्टान के ऊपर एक विशाल चट्टान स्थित है। बाहर से आम विशाल पत्थरों सा प्रतीत होने वाला यह चट्टान अंदर से देखने पर लगता है की कोई इसे तराश कर एक कटोरी का रूप दिया हो और उसे उलट कर यहाँ रख दिया हो। इस चट्टान के दक्षिण में एक छोटा सुराख़ जैसा प्रवेश द्वार है जिस पर या तो बैठ कर या लेटकर प्रवेश किया जा सकता है। परन्तु अंदर गर्भगृह में लगभग 20-25 व्यक्तियों के बैठने जितना पर्याप्त स्थान मौजूद है। 

मंदिर से जुड़ी मान्यता:

लिंगेश्वरी माता मंदिर (Lingeshwari Mata Mandir) से जुड़ी मान्यता यह है की यहाँ मांगी गई मन्नत हमेशा पूरी होती है। लिंगई माई मंदिर सबसे ज्यादा निःसन्तानों के संतान प्राप्ति हेतु मन्नत के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले निःसंतान दम्पत्तियों की झोली एक साल भर जाती है। इस मंदिर में निःसंतान दम्पत्तिओं को एक साथ दर्शन करना होता है तथा प्रसाद स्वरुप सिर्फ खीरा चढ़ाया जाता है और प्रसाद में उन दम्पत्तिओं को खीरा ही दिया जाता है। उस खीरे को लिंगेश्वरी माई के सामने ही अपने नाख़ून से फाड़कर दोनों को खाना होता है। 

मंदिर से भविष्यवाणी:

हर साल लिंगेश्वरी माता मंदिर (Lingeshwari Mata Mandir) के पट बंद करने से पहले प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक रेत की एक परत बिछाई जाती है, रेत बिछाने के बाद मंदिर के दरवाजे को बंद कर दिया जाता है। यह दरवाजा पूरे साल बंद रहता है। अगले साल भद्रपद के शुक्लपक्ष नवमीं के बाद आने वाले बुधवार की सुबह इस दरवाजे को गायता (आदिवासी समाज का पुजारी) और अन्य 4 लोगों के समक्ष नये चावल आटे के साथ चैतरा बना कर खोला जाता है। दरवाजा खोलने के बाद सर्वप्रथम बिछाई गयी रेत में पशु पक्षिओं के पैरों के निशान ढूंढे जाते हैं। अगर रेत में हाथी के पद चिन्ह उभरे मिले तो आने वाला साल उन्नति देने वाला रहेगा, अगर पद चिन्ह घोड़े का मिला तो आने वाला साल युद्ध से भरा रहेगा। मिलने वाला पद चिन्ह अगर कमल का मिले तो साल धन धान्य से परिपूर्ण रहने की उम्मीद होती है। अगर पैर के निशान मुर्गी के हों तो अकाल तथा बिल्ली के हो तो भय-विनाश से भरे साल होने की भविष्यवाणी की जाती है। 

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